A Story of a Father and His Sweet Daughter// एक पिता और उसकी पुत्री की क...

एक पिता और उसकी पुत्री की कहानी।


​एक परिवार में पति और पत्नी शहर में एक छोटी से मकान में अपना जीवनयापन कर रहे होते हैं। वो बहुत गरीब होते हैं लेकिन उनका गुजर बसर अच्छे से चलता रहता हैं। एक दिन उस दम्पति को एक नन्ही सी , प्यारी सी बच्ची का जन्म होता हैं। कुछ दिन बाद बच्ची की माँ की बीमारी के चलते मृत्यु हो जाती हैं। पिता परेशान हो जाता हैं कि अब बच्ची का पालन पोषण कैसे होगा। समय के साथ वह अपनी बच्ची का अच्छे से पालन पोषण करता हैं। पिता शहर में एक रईस परिवार का कार ड्राइवर होता हैं। एक दिन उसका सड़क दुर्घटना में चेहरा बिगड़ जाता हैं। फिर उसे उसके बिगड़े हुए चेहरे के कारण कोई काम नही देता हैं। अतः  अपनी बच्ची के भविष्य के लिए वह कोई भी हर तरह का काम करने लगता हैं। मकान का किराया न होने के कारण अब वे एक झोपड़ी में रहने लगते हैं। कभी कभी नालियां साफ करने पर कुछ रुपये मिल जाते हैं, तो कभी किसी के यहां गुलामी करने पर। वह पिता कभी कभी तो कूड़े के ढेर से कबाड़ का सामान बीनने तक का काम करता हैं। लेकिन जब भी वह अपनी बच्ची से पापा आ गए शब्द सुनता हैं, मानो पिता के सारे दुःख ख़त्म हो जाते हों, सारी थकान चली जाती हो, ऐसा लगता है जैसे बच्ची ही पिता का स्वर्ग हो। समय गुजरने के साथ बच्ची भी बड़ी होने लगती हैं। पिता के चेहरे के कारण उस बच्ची को भी तानों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह कभी अपने पिता को इन सभी बातों के बारे में नहीं बताती। पिता भी कभी अपनी बेटी को कोई दुख दर्द नहीं बताता। एक दिन उसकी बेटी का 15 वां जन्मदिन होता है तो पिता हर साल की तरह है अपनी बेटी को कुछ ना कुछ गिफ्ट जरूर देता है लेकिन बेटी कभी इसकी मांग नहीं करती। क्योंकि वह अपने पिता की हालत को समझती है। उस दिन पिता को शहर में कोई काम नहीं मिलता है। इसी चिंता के कारण पिता के लिए उसकी बेटी द्वारा बांधा हुआ खाना भी वह नहीं खाता है। वह बहुत हताश हो जाता है, आखिर शाम तक उसे कोई काम ना मिलने के कारण उसके पास एक भी रुपए नहीं होते। तब वह अपना खाना किसी दूसरे व्यक्ति को बेच कर 20 रुपये कमा लेता है और वह उन 20 रूपयों से अपनी बेटी के लिए चॉकलेट ले जाता है। बेटी बहुत खुश हो जाती है, पिता भी उसकी मुस्कान को देखकर अपने सारे कष्ट दर्द भूल जाता है। लेकिन आख़िरकार बेटी को इस घटना का पता चल ही जाता है तब वह बेटी कहती है पिताजी यह चॉकलेट आप ही खा लो आज मेरा व्रत है कल तक तो यह खराब हो जाएगी। तब वह चॉकलेट पिता को खिला देती है। उस लड़की को अपने पिता के लिए बहुत दुख होता है, वह पूरी रात अपने पिता का चेहरा देख कर रोती रहती है, कभी मुस्कुराती है, तो कभी चिंता भी होने लगती है। वह अपने पिता को ही अपना ईश्वर मानती है। वह बचपन से ही पढ़ने में होशियार होती हैं, पिता खून पसीना एक करके अपनी बच्ची को पढ़ाता है। अंततः ऐसी ही कठिन परिस्थितियों के होने के बावजूद वह लड़की मन लगाकर पढ़ती जाती है और आगे बढ़ती जाती है और वह 22 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में कलेक्टर बन जाती है। जब आईएएस के इंटरव्यू मैं उस लड़की से एक प्रश्न पूछा जाता है कि आप ईश्वर को मानती हो और अगर मानती हो तो किस ईश्वर को मानती हो, तब वह लड़की कहती है मैं ईश्वर को मानती हूं और वह ईश्वर मेरे पिता है। इस प्रकार वह अपने पिता की बची हुई जिंदगी में खुशियां भर देती है। ये थी पिता पुत्री की एक अनोखी कहानी। अगर आपको कहानी पसंद आई हो तो चैनल को लाइक करें सब्सक्राइब करें और शेयर करें आशा करता हूं की 200 लाइक्स हो जाएं, धन्यवाद।








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